सर झुका के कर सलाम हैं शाम शानदार
आसमान से आ गिरी है शाम शानदार
चकदे अँधेरा
चाँद जला दे , बल्ब बनके ..
फ़िक्र न कर्यो
करना भी क्या है
बिजली बचा के
सर्र -ए आम पिला ख़ुशी के जाम शानदार
आसमान से आ गिरी है शाम शानदार
जज़्बात के चिल्लर को नोट बना के
मेहँदी रात पे खुलके लूटा
चिंगारियों को ..
विस्फोट बना के
ऐयाशी के तू राकेट छुड़ा
कैसा डर तू कर गुज़र
यह काम शानदार
आसमान से आ गिरी
यह शाम शानदार
यह शाम शानदार
यह शाम शानदार